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Malegaon Blast
“मालेगांव केस की सुनवाई के दौरान कोर्ट को जांच में कुछ गड़बड़ियां मिली हैं। जैसे, पुलिस ने जितने घायल बताए थे, असल में उतने थे नहीं और कुछ घायलों के मेडिकल सर्टिफिकेट भी नकली लग रहे हैं। कोर्ट इस बात को बहुत गंभीरता से देख रहा है साथ ही कुछ मेडिकल सर्टिफिकेट में हेराफेरी की गई थी,
Malegaon Blast में एनआईए कोर्ट ने मालेगांव बम धमाका मामले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया है. कोर्ट ने आरोपियों को यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधियां निवारण अधिनियम), आर्म्स एक्ट और अन्य सभी आरोपों से मुक्त कर दिया. “मालेगांव केस में, आरोपियों के वकील कोर्ट में यह साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि पुलिस की जांच में बहुत झोल (गड़बड़ियाँ) हैं। पुलिस यह ठीक से साबित नहीं कर पाई कि बम उसी मोटरसाइकिल में था जो साध्वी प्रज्ञा की थी। पुलिस ने घायलों की जो संख्या बताई, वो भी गलत है। कोर्ट ने यह भी कहा है की घायलों की संख्या 101 नहीं बल्कि 95 थी. कुछ मेडिकल सर्टिफिकेट में गड़बड़ी पाई गई कुछ मेडिकल सर्टिफिकेट नकली लग रहे हैं।
Malegaon Blast कोर्ट ने यह भी कहा है की आतंकवाद से जुड़ा यह सख्त कानून (UAPA) लगाने के लिए जो सरकारी मंजूरी चाहिए थी, वो ठीक से नहीं ली गई थी। इसलिए कोर्ट ने कहा कि यह कानून इस केस में लागू ही नहीं हो सकता। और जांच में यह साबित नहीं हो पाया कि कर्नल पुरोहित के घर पर कोई विस्फोटक (बम) रखा था या बनाया जा रहा था।
Malegaon Blast में कोर्ट ने कहा जांच में बहुत बड़ी लापरवाही हुई पुलिस ने मौके का कोई नक्शा (स्केच) तक नहीं बनाया। न उंगलियों के निशान लिए, न कोई और सबूत ठीक से इकट्ठा किया। जांच के लिए जो सैंपल उठाए गए, वे भी खराब हो गए थे, इसलिए उनकी रिपोर्ट पर भरोसा नहीं किया जा सकता। जिस बाइक में बम रखने की बात कही गई, उसका चेसिस नंबर (यूनिक आईडी) तक घिसा हुआ और साफ नहीं था। और सबसे बड़ी बात, पुलिस यह साबित नहीं कर पाई कि धमाके से ठीक पहले वो बाइक साध्वी प्रज्ञा के पास ही थी। कोर्ट पुलिस की जांच से बिल्कुल भी खुश नहीं है। कोर्ट का कहना है कि जांच इतने खराब और लापरवाही भरे तरीके से की गई है कि आरोपियों के खिलाफ सबूत बहुत कमजोर पड़ गए हैं।

मालेगांव बम धमाका
(आरोपी) साध्वी प्रज्ञा का कहना है कि…
“मुझे इस केस में जानबूझकर और बिना किसी वजह के फंसाया गया। मैं तो एक साध्वी (संन्यासी) की तरह शांति से अपनी ज़िंदगी जी रही थी, लेकिन मुझे बिना किसी सबूत के गिरफ्तार कर लिया गया और बहुत टॉर्चर (यातना) किया गया। इस सबने मेरी ज़िंदगी बर्बाद कर दी। उस मुश्किल समय में कोई भी मेरे साथ खड़ा नहीं हुआ। उनके मुताबिक, यह सब ‘भगवा’ (यानी हिन्दू धर्म और साधु-संतों) को बदनाम करने की एक सोची-समझी साजिश थी। जो हुआ है, वो भगवा और हिंदुत्व की जीत है, सच की जीत है। और जिन्होंने मेरे साथ यह सब गलत किया, उन्हें भगवान खुद सज़ा देगा।
पूर्व सांसद प्रज्ञा ठाकुर सहित इन लोगों पर चलाया गया मुकदमा
मालेगांव (Malegaon Blast) धमाके के केस में कुल सात लोगों पर मुकदमा चल रहा था। इनमें सबसे बड़े नाम थे साध्वी प्रज्ञा ठाकुर (बीजेपी नेता) लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित (एक फौजी अफसर) इनके अलावा पांच और लोग (मेजर रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी) भी इस केस में आरोपी थे।