IEX के शेयरों में 23% की गिरावट : ग्रिड-इंडिया (एक सरकारी संस्था) ने कहा था कि ‘मार्केट कपलिंग’ को लागू नहीं करना चाहिए। इसके बावजूद सरकार ने इसे लागू करने का फैसला कर लिया, जो IEX कंपनी के लिए एक बहुत बुरी खबर है। क्योंकि इससे IEX का वह सबसे बड़ा फायदा (Business Moat) खत्म हो जाएगा, जो उसे दूसरी कंपनियों से बचाता था। वह फायदा यह था कि IEX को बिजली का “सबसे सही दाम तय करने वाला सबसे बेस्ट प्लेटफॉर्म” माना जाता था। अब यह ख़ास पहचान उसके पास नहीं रहेगी।

गुरुवार, 24 जुलाई को इंडियन एनर्जी एक्सचेंज (IEX) के शेयर 23% तक गिर गए। इस भारी गिरावट की वजह ‘मार्केट कपलिंग‘ नियमों से जुड़ी एक बुरी खबर थी। यह ‘मार्केट कपलिंग’ का डर इस शेयर पर पहले से ही एक तलवार की तरह लटका हुआ था और इसकी कीमत पर दबाव बना रहा था। (IEX के शेयरों में 23% की गिरावट)

IEX के शेयर क्यों डूबे? जानिए पूरा मामला आसान भाषा में
सबसे पहले, ये समझिए कि IEX के शेयर बुरी तरह गिरे हैं। (IEX के शेयरों में 23% की गिरावट) हालत यह है कि खरीदने वाला कोई नहीं है और बेचने वालों की लंबी लाइन लगी हुई है। NSE (शेयर बाजार) पर लगभग 3.9 करोड़ शेयर बेचने के ऑर्डर लगे हुए हैं, लेकिन कोई खरीदार ही नहीं मिल रहा है |
सरकार का बड़ा फैसला:
बिजली की सबसे बड़ी सरकारी संस्था CERC ने ‘मार्केट कपलिंग’ नाम के एक नए नियम को हरी झंडी दे दी है। यह नियम “डे-अहेड मार्केट” (यानी अगले दिन की बिजली की खरीद-बिक्री) पर लागू होगा। तो ये ‘मार्केट कपलिंग’ है क्या आप इसे एक तरह की ‘सेंट्रल मंडी’ समझिए
अभी क्या होता है: IEX (IEX के शेयरों में 23% की गिरावट) और दूसरे छोटे-मोटे पावर एक्सचेंज अपनी-अपनी दुकान चलाते हैं और अपने-अपने हिसाब से बिजली का दाम तय करते हैं। क्योंकि IEX सबसे बड़ा और भरोसेमंद है, तो ज़्यादातर लोग उसी के पास जाते हैं।
लेकिन अब ‘मार्केट कपलिंग’ के तहत, सभी पावर एक्सचेंज (IEX, PXIL आदि) से बिजली खरीदने (Buy) और बेचने (Sell) के सारे ऑर्डर एक जगह इकट्ठे किए जाएंगे। फिर एक सॉफ्टवेयर इन सबको मिलाकर पूरी मार्केट के लिए बिजली का एक ही दाम (Uniform Price) तय करेगा। (IEX के शेयरों में 23% की गिरावट) लेकिन इससे फर्क नहीं पड़ेगा कि आपने ऑर्डर IEX पर लगाया या किसी और एक्सचेंज पर, दाम सबको एक ही मिलेगा।
यह कब और कैसे लागू होगा चलिए जानते है इसका पहला चरण जनवरी 2026 तक लागू हो जाएगा। IEX जैसे सभी पावर एक्सचेंज बारी-बारी से इस सेंट्रल सिस्टम को चलाने का काम करेंगे। इस नियम को लागू करने से पहले, CERC सभी संबंधित पक्षों (जैसे बिजली कंपनियां, एक्सचेंज) से बातचीत करेगी। (IEX के शेयरों में 23% की गिरावट) एक और सरकारी संस्था ‘ग्रिड-इंडिया’ इस पूरे सिस्टम में बैकअप और ऑडिटर की तरह काम करेगी, ताकि कोई गड़बड़ न हो। यह भविष्य में लंबे समय के सौदों के लिए भी एक ऐसा ही सिस्टम बनाएगी और उसे 3 महीने तक टेस्ट करेगी। (IEX के शेयरों में 23% की गिरावट)

अभी यह नया ‘मार्केट कपलिंग’ का नियम सिर्फ ‘अगले दिन की बिजली’ (Day-Ahead Market) पर लागू हो रहा है। ‘तुरंत वाली बिजली’ (Real-Time Market) पर इसे बाद में लागू करने के बारे में सोचा जाएगा। सरकार पहले देखना चाहती है कि यह प्रयोग सफल होता है या नहीं।
IEX को इसका क्या नुकसान होगा?
IEX की सबसे बड़ी ताकत (जिसे ‘Business Moat’ कहते हैं) यही थी कि वो बिजली का दाम तय करने का “सबसे अच्छा प्लेटफॉर्म” था। अब यह ख़ासियत खत्म हो जाएगी, क्योंकि दाम तो सेंट्रल सिस्टम से तय होगा। जब सभी एक्सचेंजों पर एक ही दाम मिलेगा, तो ग्राहक दूसरे छोटे एक्सचेंजों पर भी जाने लगेंगे। अभी बिजली के इस बाज़ार में IEX का लगभग 85% कब्ज़ा है। अब यह कारोबार दूसरे एक्सचेंजों में बट जाएगा, जिससे IEX की कमाई सीधे-सीधे कम होती दिखेगी |
बड़े एक्सपर्ट्स की राय
उन्होंने IEX के शेयर का टारगेट प्राइस ₹160 से घटाकर ₹122 कर दिया है। उनका मानना है कि शेयर यहां से और 35% गिर सकता है। उम्मीद से बुरा फैसला फर्म ने कहा, “सरकार का यह फैसला हमारी उम्मीद से कहीं ज़्यादा बुरा है।”